திங்கள், டிசம்பர் 19, 2011

saayee se prarthna

शिर्डी साई
अनंत आनंद दे, अग को.
अनन्य भक्तों को ,
नेक कोI
,हरिश्चंद्र-सा,
परेशान मत कर.
कलियुग का मनुष्य,
सद्य: फल चाहने वाले,
देखते हैं हम,
भोगी संत.
अन्यायी की जीत.
न्यायी की चाह,
अन्यायियों के बीच ,
उसका अंतर्वेदना,
तेरे जीवनी में भी.
अत्याचार का आनंद नर्तन.
भक्तों का शोक.
रामायण में,
महा भारत में,
महा बलि के जीवन में,
मनुष्य का अवतार,
दुख  झेलने ,
अन्याय की सजा,
अंत में.
कई धर्मात्मा की मृत्यु के बाद.
कहते हैं पूर्व जन्म का फल.
इस जन्म को जानने  में,
असमर्थ मानव ,
प्रत्यक्ष पर भरोसा रख,
भ्रष्टाचारी घूसखोरी ,

अत्याचारी,हत्यारे बनता है.
न्यायी अपना जन्म फल पर पछ्ता,
अग-जग के सुख भोग भूल,


त्यागी बनता है .
यह क्यों.
साई ,
दें सही उत्तर.
आधुनिक सुखों का भोगी,
ईमानदार और सत्यवान क्यों न होते.




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