पट्टी नत्तार
शरीर है यह नाशवान;
आँखों में मैल-आंसू,
कान से गन्दगी,
नाक में पानी,
जीभ में थूक-पानी;
अपन-वायु मल निकलने -द्वार,
लघु -शंका निकलने की नाली,
दुर्गंध निकलता देह;
अंत में देह जलकर होगा भस्म;
ऐसे शरीरवाला है यह जीवन;
यह समझकर,-जानकर,
ज्ञान प्राप्त कर,
हे दिल!!शिव देव की प्रार्थना कर.
सुवासित फूल माला के
जटा-धारी,परमेश्वर, शाश्वत,
शिव -भोग ब्रह्मानंद ,
सभानाथ,आनंद नटराज,चित-आकाश में वास
ज्योति -स्वरुप,
शिव स्वयंभू को,
अरे मन !स्मरण कर.
जिससे अहंकार दूर हो,1