சனி, பிப்ரவரி 11, 2012

   पट्टी नत्तार 

शरीर है यह नाशवान;
आँखों  में मैल-आंसू,
कान से गन्दगी,
नाक में पानी,
जीभ में थूक-पानी;
अपन-वायु मल निकलने -द्वार,
लघु -शंका निकलने की नाली,
दुर्गंध  निकलता देह;
अंत  में देह जलकर होगा भस्म;
ऐसे शरीरवाला  है यह जीवन;
यह समझकर,-जानकर,
ज्ञान प्राप्त कर,
हे  दिल!!शिव देव की प्रार्थना   कर.
सुवासित  फूल माला के 
जटा-धारी,परमेश्वर, शाश्वत,
शिव -भोग ब्रह्मानंद ,
सभानाथ,आनंद नटराज,चित-आकाश में वास 
ज्योति  -स्वरुप,
शिव  स्वयंभू  को,
अरे मन !स्मरण कर.
जिससे अहंकार दूर हो,1