शिव भगवान के दाये हाथ में डमरू है.संसार के कारक समस्ती सप्त स्वरुप का सूचक है वह डमरू.समझाने केलिए कहें तो सतगुरु के हाथ में उनकी इच्छानुसार विस्तृत और संकुचित करने के लिए है.यह संसार ब्रह्म ज्ञानी के लिए उसकी इच्छा पर निर्भर है.
शिव के समीप एक हिरन है.वह मृग मन का प्रतीक है.मन चंचल है हिरन सा.उछल कूदने वाला हिरन मन सा.आत्म -वस्तु मृग-सा मन की दृष्टी तक नहीं पहुंचेगी.इसी कारण से शिव -नटराज के पैर के समीप है.बाघ अहंकार का प्रतीक है.अतः बाघ को मारकर उसका चरम कटी प्रदेश और शरीर को ढका हुआ है.अहंकार का वध नटराज से ही संभव है.
शिव के समीप एक हिरन है.वह मृग मन का प्रतीक है.मन चंचल है हिरन सा.उछल कूदने वाला हिरन मन सा.आत्म -वस्तु मृग-सा मन की दृष्टी तक नहीं पहुंचेगी.इसी कारण से शिव -नटराज के पैर के समीप है.बाघ अहंकार का प्रतीक है.अतः बाघ को मारकर उसका चरम कटी प्रदेश और शरीर को ढका हुआ है.अहंकार का वध नटराज से ही संभव है.