देश में बलात्कार
आज की बात नहीं है,
महाभारत में,
तीन राजकुमारियाँ ,
वीरता के नाम से बलपूर्वक
लाईं गई ।
नल-दमयंती की कहानी,
प्रेमकी कहानी,
शकुंतला नाटक कैसा?
मेनका कैसी/?
विदुर का जन्म कैसा?
वाली की मृत्यु कैसी?
कर्ण का जन्म कैसा?
कबीर का?
मत देखना
कहते हैं र्रुषी मूल ,नदी मूल .
इंद्र के हज़ार आँखें
किस शाप का फल?
अहल्या मोक्ष
किस पुराण की प्रसांगिक कथा?
ये प्रेम की कहानियां,
पुरुषों के लिए
एक खेल।
सिखाते हैं हम
राजा के तीन पत्नियां।
द्रौपतिके पांच पति।
पाण्डव की माँ
कुंती के पूत पाँच .
पूर्व विवाह के पुत्र एक।
पाँच पुत्रों के पिता अलग-अलग।
बलात्कार या मजबूरियाँ
आज नहीं चिर परिचित।
सब के सब अधिकारीवर्ग;शासक वर्ग ;
ईश्वर के प्रतिनिधि;
बलात्कार या मजबूरियाँ
आज नहीं चिर परिचित;
एक राम को ही कहते हैं
एक पत्नी व्रत।
कृष्ण की लोक रंचक।
आंडाल,मीरा
राम की भक्ता नहीं?
क्यों?
लोकरक्षक से
लोक्रंचक भाता है अधिक;
वर वधु देखने जाते
आज भी वधु तमिलनाडु में गाती हैं
कन्हैया,आँखों की लहरे उठती ,
राम के लिए नहीं।
कृष्ण की लीलाएं हैं;
राम की है क्या?
तमिल् में है एक लोकोक्ति ,
रेत को गिन सकते है,
अर्जुन की पत्नियाँ गिन नहीं सकते।
कहानी की नसीहतें
पालन करना दुश्वार;
ऊपरी अच्छी हैं;
अतः
करते है वार;
मधु शालाओं में
रोशनी भीड़ अधिक,
छोटे अक्षर में लिखा है
देह के लिए अहित;
सर्कार चलाती है
आय के लिए;
सोचिये ज़रा!
आय हीन वारंगानायेंकरेगी क्या//?
राज सम्मान
इंद्रा सभा में ,
तीन सुंदरियाँ .
बलात्कार की कहानियाँ
आज-कल् की बात नहीं।
वर्षों पुरानी;
पद्मावत तो प्रेमकाव्य ,
कहते हैं प्रेमाश्रय;
बलात्कार् की कहानियाँ
आजकल की नहीं
वर्षों पुरानी।