हे देवनाथ! आनंदप्रद,दुःख-हरण ;
योग आदि विनोद भक्तों से करनेवाले,
मुरुगा !{कार्तिक)मुझे एक ऐसा उपाय और मार्ग बता।
जिससे मैं " मैं" भूल सकूं।।जीवन मुक्ति पा सकूँ।।
S.Anandakrishnan, M.A, M.Ed.,
Retired Head Master of Hindu Higher Secondary School, Chennai, India