कवि पोय्यामोली கவி பொய்யாமொழி
तमिल संसार की प्राचीनतम भाषाओं में एक है.संसार में मेरी जानकारी के अनुसार तमिल भाषा के लोग अर्थात मेरी मात्रुभाषा में प्रेयसी को खुश करने के लिए कहते है कि तू तमिल जैसी मधुर हो. तमिल की दूसरी विशेषता है कि संस्कृत के सामान तमिल कवियों ने ईश्वर से वरदान पाकर कविता या काव्यों की रचना की है.
अरुनागिरिनाथर को भगवान कार्तिकेय ने रक्षा की है. उनसे वरदान पाकर कंदर अनुभूति और तिरुप्पुकल
की रचना की है. आंडाल विष्णु भक्ता है. उन्होंने तिरुप्पावे नामक कीर्तन अपने इष्ट देव को पति मानकर रचना की है.
नक्कीरर नामक कवि ने महादेव के सामने तर्क की कि तिरिनेत्र दिखाने पर भी आप की गलती गलती ही है.ऐसे निडर कवियों की संख्या तमिल में अधिक हैं. पोय्यामोली नामक एक भक्त कवि थे.नाम का अर्थ ही झूठ न बोलनेवाला.
वास्तव में पोय्यामोली काली माँ के भक्त थे.उनको भगवान कार्तिक ने खुद शिक्षा देकर अपना भक्त बनायाथा.
वह रोचक कहानी पढ़िए.:-
एक बार पोय्यामोली रूपये की थैली लेकर घने जंगल में जा रहे थे. तब कार्तिकेय ने चोर के वेश में उनको डराया था.कवि डर गए. खूब उनको डराने के बाद कहा--"तू अंडे के बारे में एक कविता सुनाओ. मैं छोड़
दूंगा. कवि ने अपने को बचा लेने के लिए अंडे की तारीफ़ में कविता रचकर सुनायी.तब कार्तिक अपने असली रूप में प्रकट होकर पूछा---तू तो माँ काली के भक्त हो.तूने कहा कि मैं छोटा बच्चा हूँ.मेरी तारीफ़ नहीं करोगे.लेकिन आज अंडे के बारे में गाया है.यह तो मुझसे छोटा है.
कवि को अपनी भूल का पता लगा.उन्होंने भगवान कार्तिक के चरणों पर गिरकर क्षमा याचना की.तब से मुरुग भक्त अर्थात भगवान कार्तिक का भक्त बन गए और उन्होंने उनके यशोगान करने लगे.
इस कहानी की सीख है कि ईश्वर बड़े है. मनुष्य अपनी विपत्ति में जो चाहे,अपने को बचाने के लिए कर सकता है.
लेकिन भगवान की उपेक्षा न करके अपने इष्ट देवी की प्रार्थना में मन लगाने में ही कल्याण है.