செவ்வாய், ஜனவரி 26, 2016

जागो ;जगाओ देश को

 जागना है  भारतीय युवकों को
अभिनेता अभिनेत्री कट्टवुट  का अभिषेक छोड़ ,
उनका  पीछा करना छोड़
देश  की हालत पर करना विचार.
खान गाँधी परिवार का शोषण
ज़रा रोका गया ,पर मुकद्दमा जारी करना
आगे न देना बढना .
मोदीजी आये ,दिल्ली चुनाव में ,बिहार में
करारी चोट पडी;देखो इसकी क्या कमी.
हुआ क्या कम महंगाई ?
क्या कम हुआ भ्रष्टाचारी ?
क्या पकडे गए २जजी , ३जी ?
फोफर्स ,कोय्ल्ला ,सोनिया दामाद ?
काले धनियों को क्या हुआ ?
नदियों की राष्ट्रीय करन -संगम योजना शुरू हुयी ?
युवकों सोचो ?
शिक्षा ,इलाज ,सुरक्षा की गड़बड़ियां
कालेज लड़के और लड़कियों की आत्महत्याएँ
बलात्कार  को कठोर दंड की बात हुयी .
सोलह साल का लड़का बच्चा पैदा कर सकता हैं
प्रकृति के मुताबिक़;
अतः  सोलह वर्ष के अपराधियों को दंड देना आवश्यक.
ये सब  न हुआ तो  सरकार सही नहीं ,.
सोचो विचारों
देश की प्रगति,स्वच्छता ,न्याय सब तेरे हाथ,
जागो .जगाओ ;कुछ करी देश को.

नाम बदलो


 
 
मैं  पिछले महीने  तमिलनाडु के चेन्नई में 
घर गली घेरे गहरे पानी में .
आज हूँ अमेरिका में ,
कहते हैं स्वर्ग भूमि 







मैं  पिछले महीने  तमिलनाडु के चेन्नई में 
घर गली घेरे गहरे पानी में .
आज हूँ अमेरिका में ,
कहते हैं स्वर्ग भूमि 
घर गली घेरे हैं  बरफ से.

घर गली घेरे हैं  बरफ से.
पर  न  कोई नागरिक दुखी.
न  बिजली का डिस्सिकनेट 
न  दूरभाष का ,न  इन्टरनेट  का .
घर में आराम.
प्रकृति की शक्ति बड़ी;
बढी तो  होगा  असहनीय  असाध्य दुःख ;
चाहे स्वर्ग सैम अमेरिका हो 
चाहे आध्यात्मिक देश भारत हो;
अहंकारी धनि लोभी जन को 
देख समझ सुधारना चाहिए,
पर  दिन ब  दिन 
शैतानियत बढती जा रही है;
घूस ,भ्रष्टाचारी ,बलात्कारी कभी  न सुधारे 
सुनामी देखकर भी.
महावीर ,बुद्ध,रमण महर्षि  जैसे 
दिगंबर ,अर्द्ध नग्न ,कौपीनधारी 
संत-सन्यासियों के देश में 
भगवान और भक्ति के नाम से 
व्यापार; आश्रमों में त्याग की बात नहीं 
लूट की बात;
स्वर्नासन स्वर्न्हीरे जडित मुकुट;
मिलने दस हज़ार ,निकट बैठने लाख 
हो जाते करोड पति;
कानूनी हो या गैरकानूनी 
राजनैतिज्ञ  नेता जाते दर्शन को;
ईश्वारीय शक्ति के सामने झुकने को 
भ्रष्टाचार बढाने को;
हर पिनामियों के पीछे मंदिर 
हर नेता और पिनामियों के अधीन 
इन्जनीयर और मेडिकल कालेज ;
कात्खाना ,फेक्टरी ; मधुशाला.
अमीरी के आगे न्याय और नियायालय  पिछलग्गु बन जाता.
खान गाँधी होना मंजूर ,
सत्य असत्य होना मंजूर 
पैसे वोट में बदलना मंजूर 
भ्रष्टाचारी अपराधी अभिनेता अभिनेत्री 
सांसद वैधानिक मंत्री बनना मंजूर.
तब तो प्राकृतिक प्रलय होगा ही ;
सब बंद होने एक नयी शक्ति आयेगी 
ऐसी आशा में जियेंगे भारतवासी .
खुद जागने  ,जगाने कोई नहीं तैयार;
युग पुरुष आयेगा ,सुधरेगा भारत.
जय भारत को जय हिन्द में बदल दिया 
यह तो एक नदी विशेष;
कितने उदार हम ,कितने सहन शील ;
गाते हैं हिन्दू ,मुस्लिम ,सीख ईसाई.
आपस में है भाई -भाई .
पर दे  दिए म्य्गलों को एक देश;
देते हैं अल्पसंख्यक अधिकार.
हमें देश का नाम बदलना है भारत.
सिन्धु नदी का हिन्द प्रदेश है नहीं यह;
गंगा ,यमुना ,सरस्वती ,ब्रह्म पुत्र ,कावेरी ,गोदावरी 
सब नदियों की विस्तृत भूमि 
भारत  महान.

सोचो ;जागो  जरा काम की बात करो.

मन न माना

उम्र बढ़ रही है ;
देख रहा हूँ समाज को,
लूटनेवाले लूटते रहते हैं ;
जिनको लुटेरा कहते हैं ,
वह चुनाव जीतते जाते हैं;
उनकी काबिलियत के सामने
नेक ईमानदारी त्यागी
अति तुच्छ नज़र आते हैं,
लूटते तो देश को ,
समाज को ,
दिल को ,
आज ऐसे प्रशिक्षण में लगे हैं
औसत छात्र ;धनी लडकी का पीछा करो ,
काम बन जाएँ तो जिन्दगी आराम;
नायक आजकल के चित्रपटों में
आरम्भ से दरमियान तक
बदमाश ही होते हैं;
फिर लडकी के प्यार में बदमाशी तज बैठते;
पुलिस अधिकारी,मंत्री सब के
अन्याय से फिर क़ानून नायक हाथ में लेता;
पूजनीय नायक बन जाता;
साहित्य समाज का है दर्पण;
वीर गाता कालों में राजा राजकुमारी का करता है
अपहरण;
भक्ति काल में भी वही ;
रावण वध ,कीचकवध ;
ये तो समाज का दर्पण.
राजा के पत्नियां तीन माननीय ;
नापुम्सकों की पत्नी के लिए मंत्रोच्चारण
या ऋषि मुनि का सम्भोग;
आजकल के आश्रमों में भी वही;
धन जुड़ जाएँ ,पद मिल्जायें तो
मनमाना.
यह तो साहित्य सृजन से आजतक जारी.

मनमाना

उम्र बढ़ रही है ;
देख रहा हूँ समाज को,
लूटनेवाले लूटते रहते हैं ;
जिनको लुटेरा कहते हैं ,
वह चुनाव जीतते जाते हैं;
उनकी काबिलियत के सामने
नेक ईमानदारी त्यागी
अति तुच्छ नज़र आते हैं,
लूटते तो देश को ,
समाज को ,
दिल को ,
आज ऐसे प्रशिक्षण में लगे हैं
औसत छात्र ;धनी लडकी का पीछा करो ,
काम बन जाएँ तो जिन्दगी आराम;
नायक आजकल के चित्रपटों में
आरम्भ से दरमियान तक
बदमाश ही होते हैं;
फिर लडकी के प्यार में बदमाशी तज बैठते;
पुलिस अधिकारी,मंत्री सब के
अन्याय से फिर क़ानून नायक हाथ में लेता;
पूजनीय नायक बन जाता;
साहित्य समाज का है दर्पण;
वीर गाता कालों में राजा राजकुमारी का करता है
अपहरण;
भक्ति काल में भी वही ;
रावण वध ,कीचकवध ;
ये तो समाज का दर्पण.
राजा के पत्नियां तीन माननीय ;
नापुम्सकों की पत्नी के लिए मंत्रोच्चारण
या ऋषि मुनि का सम्भोग;
आजकल के आश्रमों में भी वही;
धन जुड़ जाएँ ,पद मिल्जायें तो
मनमाना.
यह तो साहित्य सृजन से आजतक जारी.