புதன், டிசம்பர் 28, 2011

russia and bhagavat gheetha

हिन्दू  धर्म  संसार को बताती है  कि "वसुदेव कुटुम्बकम" और "जय जगत".भारत के इतिहास में  भारत अपने ऊँचे सिद्धांत के कारण गुलाम बना.भारत का सनातन  धर्म  सहनशीलता सिखाती है."अतिथि देवो भव " के अनुसार चलनेवाले भारतीय  शांति के पथ पर  यह सोचता है कि सुख या दुःख ईश्वर की देन है.जो कुछ स्वतः मिलता है,उससे संतुष्ट होकर जीना श्रेष्ठ है.भारत पर विदेशी आक्रमणकारी चढाई करने आये तो उनके पक्ष में या समर्थन में
भारत के ही लोग थे.भाग्य पर विश्वास करने वाले भारतीय अलेक्सान्दर के सेनापति सेल्यूकस की बहन को अपनी
बहू बनाकर विश्व बंधुत्व का साक्षी  हैं.भारत के वेड शास्त्र पुराण में और कहानियोमें जाति.समन्वय  की बातें है.

अहिंसा की बातें है.भागवत गीता की चर्चा रूस में हुई तो उस ग्रन्थ को और भी पढने वाले होंगे.उसको आज तक किन लोगोंने पढ़ा नहीं, उनको पढने की प्रेरणा भगवान् कर रहे हैं.उस ग्रन्थ के श्रद्धालु और अधिक होंगे.अतः वास्तव में यह मुकद्दमा श्री कृष्ण के भक्त संख्या बढाने का कार्य करेगा. 

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