சனி, அக்டோபர் 26, 2024

भारतीय भाषाओं में राष्ट्रीय एकता

एस.अनंतकृष्णन,

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विषय ---

भारतीय भाषाओं में  एकता की भावना।


 भारत अत्यंत प्राचीनतम देश है। आ सेतु हिमाचल की एकता भी अति प्राचीन है।  श्रीरामधारी सिंह दिनकर ने अपने निबंध में लिखा है कि भारत की विविधताएँ  प्रत्यक्ष है। प्रकृति की नदियाँ, पहाड,जंगल ,भाषा,खुराक,पोशाक, जलवायु आदि प्रत्यक्ष दीख पड़ते हैं। तमिल भाषा के महाकवि राष्ट्र कवि  सुब्रह्मण्य भारती ने कहा कि "मुप्पदु कोडी मुकमुडैयळ्

चिंतनै ओन्रुडैयाळ"अर्थात तीस करोड़ चेहरे के भारतवासी हैं,पर एक ही चिंतन है। भारतीय एकता पर ध्यान देते समय  निम्न शीर्षक  मेरे मन में आते हैं।

१.  आध्यात्मिक एकता

२.स्वतंत्रता संग्राम 

३. दर्शनीय स्थल

आध्यात्मिक  एकता :-- 

अखंड भारत में भक्ति की धारा  बहती है। उत्तर भारत में कहा करते हैं --"भक्ति द्राविड़ उपजी" | केरल के आदी शंकराचार्य और मंडन मिश्र के वाद विवाद प्रसिद्ध है।  उत्तर के विद्वान दक्षिण आते थे। तमिल का व्याकरण अगस्त्य ने लिखा है। उत्तर से भगवान कार्तिकेय दक्षिण आये। उनपर अव्वैयार ने गीत गाये। रामायण, महाभारत, नल दमयंती, हरिश्चंद्र  आदि के नाटक आ सेतु हिमाचल  प्रसिद्ध है। सभी भारतीय भाषाओं में भगवान शिव, विष्णु,राम,कृष्ण के योगदान मिलते हैं।  मुर्गा भगवान का झंडा है।  उन्हें मुरुगा कहते हैं। तमिल में "मुरुगु" को सुंदर कहते हैं।

 सुंदर होने से मुरुगा, मुर्गे के ध्वजा के कारण मुरुगा  ऐसी  आध्यात्मिक एकता है। हनुमान चालीसा की गूँज उत्तर से कुमरी अन्तरीप तक उठती है। राम और पांडव वनवास के समय भारत भर भटकते रहे।  उनकी यादगार सर्वत्र मिलती है।

 जैन तीर्थंकर अपने सिद्धांतों  के द्वारा लोगों को सुमार्ग दिखाने आये। तमिल के अनेक नीति ग्रंथों के कवि जैन मुनी हैं। तिरुवल्लुवर रचित तिरुक्कुरल, नालडियार त्रिकटुकम,चिरु पंच मूलम् आदि।

तमिल के प्रसिद्ध पंच महाकाव्यों के नाम संस्कृत मे हैं -- उनमें बौद्ध और जैन के काव्य हैं। जीवक चिंतामणी, मणिमेखलै, कुंडलकेशी वलैयापति शिलप्पधिकारम  संस्कृत के हैं। भारतीय भाषाओं में संस्कृत के तत्सम ,तद्भव शब्द आज भी चालू है।जन्म, दिन, मरण, शव, वर्ष ,मास,  वार , परिवर्तन, निर्वाह,शाला,आलय,मंत्र, मंत्री, श्मशान पर्वत, चल जैसे शब्द  प्रचलित हैं। जब तक भारत में संस्कृत भाषा का संपर्क रहा, लोगों में न्याय,अन्याय का भय था।ऋष्यश्रृंग की कहानी द्वारा ब्रह्मचर्य की महीमा सिखाई गयी। वसुधैव कुटुंबकम्, सर्वे जना सुखिनो भवन्तु,जय जगत आदि नारा भारत  की सभी भाषाओं में अनूदित हैं।


  

  स्वतंत्रता संग्राम 

 स्वतंत्रता संग्राम का नारा "भारत छोड़ो, वंदेमातरम, इन्कलाब जिंदाबाद , स्वतंत्रता जन्म सिद्ध अधिकार आदि भी भारतीय भाषाओं को स्वतंत्रता संग्राम की देन है। सुभाष चंद्र बोस, बालगंगाधर तिलक, वाला लजपतिराय, विपिनचंद्र पाल, मोहनदास करमचंद गांधी,पं.जवहरलाल नेहरू, राजगोपालाचारी,कामराज, ग्वेरा आदि सभी नेता  भारत भर आदरणीय है। उत्तर दक्षिण भेद भाव के बिना उनकी मूर्तियाँ अपनी कथाएँ बता रही हैं।चित्रपट के गायक गायिका लता मंगेशकर, आशा भोंसले,   मुहम्मद राफी,एल.आर .ईश्वरी  आरडी बर्मन अभिनेता, अभिनेत्री  अपने स्वर,संगीत,अभिनय द्वारा एकता के प्रतीक हैं। आचार्य विनोबा भावे  भूदान यज्ञ के द्वारा हिन्दी की गूँज भारत के हर गाँव, शहर में गूँज उठी।

महात्मा करमचंद गाँधी की दूरदर्शिता के कारण हिंदी प्रचार में ज़ोर मिला। साहित्य का आदान प्रदान होने लगा।

 चंद्रशेखर आजाद सुखदेव, भगतसिंह,वांचीनाथ, तिरुप्पूर कुमरन आदि देश भक्त  भारतीय एकता के ज्योति स्तंभ है।

पूरे देश में आज गूँज रहा है --सारे जहा से अच्छा हिंदुस्तान हमारा हमारा। भारतीयार के स्वर में"पारुक्कुळ्ळे नल्लनाडु भारत नाडु।


जय भारत।जय भारत की एकता,


अपनी


एस.अनंतकृष्णन ,चेन्नै तमिलनाडु के हिंदी प्रेमी प्रचारक।

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