जब जब हड़ताल आन्दोलन होता है ,
बड़े अक्षरों में शीर्षक है ---पुलिस या जवानों ने गोली या लत्ती चलाई. अखबारी खबर ;
विपक्षी दलों का चिल्लाना.
क्या जवान या पुलिस अपराधी हैं ?.
देखिये आज तक जो हुआ पुलिस ने लाठी चार्ज तभी चलाई
जब कई बसों का जलन , पुलिस वाहन पर पत्थर फेंकना जलाना .
चार -पाँच पुलिस का घायल .
ये राजनीती ऐसी चलेगी तो न होगी देश की भलाई.
न होगा क़ानून वयवस्था ठीक .
एक पुलिस का गयल होना ,
एक सिपाही की मृतयु
देश का कलंक ; क़ानून पर धब्बा .
जब तक राजनीती ,पुलिस ,न्यायालय राजनीतिज्ञों की सलामी करेगी ;
अधीन रहेगी तब तक न होगा देश का कल्याण.
न्यायालय तीन मिनट में एक मुकद्दमा के अपराधी को रिहाई ;
गणित गलत; अन्याय या न्याय पता नहीं , मुकद्दमा चालू . फैसला नहीं,
गरीबों की खेती हेलिकप्टर अड्डा.
यह अनीती चलती है कहते हैं लोकतंत्र .
सोचो जनता ; जागो ;
भारत माता की जेय .
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