வெள்ளி, ஏப்ரல் 15, 2016

भारतीय क़ानून व्यवस्था.

जब  जब हड़ताल  आन्दोलन होता है ,
बड़े अक्षरों  में शीर्षक है ---पुलिस या जवानों  ने गोली  या लत्ती चलाई. अखबारी खबर ;
विपक्षी दलों  का चिल्लाना. 
क्या जवान  या पुलिस   अपराधी हैं ?.
देखिये  आज तक  जो  हुआ  पुलिस ने लाठी  चार्ज  तभी चलाई  
जब  कई बसों का  जलन , पुलिस वाहन  पर पत्थर फेंकना जलाना . 
चार -पाँच पुलिस  का घायल .
ये राजनीती   ऐसी चलेगी तो न होगी देश  की भलाई. 
न होगा  क़ानून वयवस्था ठीक .
एक पुलिस  का गयल होना ,
एक सिपाही की मृतयु 
देश का कलंक ; क़ानून पर धब्बा .
जब तक राजनीती  ,पुलिस ,न्यायालय  राजनीतिज्ञों की सलामी करेगी ;
अधीन  रहेगी  तब  तक  न होगा देश  का  कल्याण. 
न्यायालय  तीन  मिनट में  एक मुकद्दमा के अपराधी को रिहाई ;
गणित  गलत; अन्याय या न्याय पता नहीं , मुकद्दमा चालू . फैसला नहीं,
गरीबों की  खेती हेलिकप्टर  अड्डा. 
यह अनीती चलती है कहते हैं लोकतंत्र .
सोचो  जनता ; जागो ;
भारत माता  की जेय . 

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