கந்தர் அநுபூதி /कंदर अनुभूति
கதி பெரும் வழி /मुक्ति पथ
கெடுவாய் மனனே!கதிகேள்!கரவாது
இடுவாய் ; வடிவேல் இறைதாள் நினைவாய் ;
கடுவாய் நெடுவேதனை தூள் படவே
விடுவாய் விடுவாய் வினை யாவையுமே.
अरुणगिरिनाथर अपने मन को संबोधित करते है कि सांसारिक माया-मोह में फँसकर बिगद्नेवाले हे मन!भगवान मुरुगन अर्थात कार्तिक के शर धूली के यशोगान में लग;उनके शास्त्र शूल पर ध्यान रख! उस ध्यान में तेरे सारे संकट चूर-चूर हो जायेंगे!तेरे सारे कर्मों के दुःख मिट जायेंगे।
भावार्थ
पंचेद्रिय सुख में बिगड्नेवाले मेरे मन!
मुक्ति मार्ग सुन!
मुरुगन के चरण पकड़कर उनके स्मरण में लग जा।
उनके अस्त्र शूल को मन में लगा लो ;
उसकी मदद से बड़े-बड़े संकटों को जला दो;
सारे दुष्कर्म दूर कर दें।
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