रोज़ ख़बरें आती हैं, क्या देशोन्नती की? नहीं।नहीं। भ्रष्टाचार की। इसमें आश्चर्य है क्या?
रोज़ ख़बरें आती हैं,
रोज़ ख़बरें आती हैं,
क्या देशोन्नती की?
नहीं।नहीं।
भ्रष्टाचार की।
इसमें आश्चर्य है क्या?
तटस्थ भ्रष्टाचार के विरुद्ध
बोलनेवालों पर भी
भ्रष्टाचार का कीचड।
एक स्वर के भ्रष्टाचार का नारा
आज अलग अलग हो गए।
दो प्रधान दल बाघ है तो
बदल-बदलकर साथ देनेवालेछोते दल है सियार।
आज खून की आवाज हैं;धमकी है।
स्वामीजी बोले
उनका शिष्य
जेल गया;मिथ्या पासपोर्ट-वीसा के अपराध् में।
केजरीवाल बोल रहे हैं;
अब उनपर आरोप हैं
वे कुछ नेताओं के भ्रष्टाचार छिपा रहे हैं।
एक दुसरे तू-तू मैं -मैं कर रहे हैं।
अन्ना हजारे के विरद्ध एक अध्यापक का अनशन
पता नहीं सच-क्या है/झूठ क्या है/?
जोभी हो देशोन्नती में
बाधा पड रहीं है।
जागो!युवकों !
जागो! बचाओ!
भारत को।
देश की उन्नत तो हुयी है बेशक।
पर
सब देशवासियों को नहीं मिली आजाद का सुख।
भ्रष्टाचार से देश को बचाने की शक्ति हैं
युवकों में।
अतः जागो;
बचाओ देश को
भ्रष्टाचार केसंक्रामक रोग् से।
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