चुनाव
देश के हित केलिए चुनाव
इस केलिए बेकार खर्च।
ये पद स्थाई नहीं हैं;
यों सोच-समझकर
करोड़ों की संपत्ति खर्च करके
बनते हैं विधायक;सांसद;
यह तो अवधि पांच सालकी;
बादमें फिर चुनाव में
जीतेंगे या हारेंगे ,
नामी दल फिर उम्मेदवार चुनेगा या नहीं;
यदि हार जाएँ तो खोटे सिक्के बन जायेंगे;
अतः इन पांच सालोँ में जितना चाहे लूटो।
वे नहीं चाहते स्थायीपद;
चाहते तो करते सच्ची सेवा।
ईमानदार ,आदर्श सेवक चुनाव में हार जातेहैं;
कुल्जारी लाल नंदा अपमानित हुए।
कर्मवीर कामराज,जिनका बैंक बैलेंस नहीं
हार गए चुनाव में;
जनता चाहती है चुनाव में
धन;
मुफ्त की घोषणा करके,
जनता के कर पैसों में
मिक्सी,ग्राइंडर,सायिकिल् लैप-टॉप बांटकर
देतेहैं रिश्वत जनता को।
लेपटॉप देते हैं मुफ्त।
बिजली नहीं; इन्टरनेट की सुविधा नहीं;
जनता के पैसों को दान जनता को;
सड़कें कच्ची;जलधारा नहीं;
मच्छ्रों का भरमार ।
समाधी को नया रूप देने करोड़।
आर्च तोड़ने पुनार्निर्माण करने
करोड़ों रूपये;
शिला तोड़ने शिला फिर स्थापित करने करोड़ों रूपये;
जनता को जल नहीं;
पहले सड़कें बनाओ;
जनता को सुख से रखो।
ये देश के सेवक अपनी संपत्ति जोडने की,
कमीशन मिलनेकी योजनामें लगे रहते हैं।
गाँव के गाँव खाली होते हैं
उसका ध्यान नहीं रखते।
वर्षा होती हैं;पानीबेकार होता है।
उसको सुरक्षित रखने प्राथमिकता नहींहै;
उसमें कमीशन नहीं मिलता।
यही तमिलनाडु राजनीति।
यही तमिलनाडु राजनीति।
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