तमिलनाडु में कई हिंदी प्रचारक अपनी इच्छा से हिंदी प्रचार का कार्य कर रहे हैं.कम शुल्क,ज्यादा सेवा.
जिंदगी भर गरीबी.सभा के परीक्षा सचिव को र.क. नरसिम्हन जी की सच्ची सेवा के लिए पहली बार उनको pension मिला ,रूपये ५०/; उनकी धर्म पत्नी अत्यंत ख़ुशी से ,आत्मा तृप्ति से मुझसे कहा;ऐसे ही सभा के कार्य कर्ता और प्रचारक महात्मा गांधी के रचनात्मक कार्य कर रहे हैं
.केद्र सरकार भी शहीद प्रचारक जो सच्ची सेवा कर रहे हैं,उनको प्रोत्साहन न देकर कोई भी ठोस काम न करनेवाले हिंदी अधिकारी और अन्य लोगों को करोड़ों रूपये खर्च कर रही है. लाखो लोगों को हिंदी सिखाने वाले बुरी हालत में है
.सरकारी दफ्तर में काम करनेवाले पढ़ें या न पढ़ें,वहां एक हिदी अधिकारी हैं.उनका एक महीने का वेतन सभा पचास प्रचाराकोंको देकर काम ले रही है.
बुढापे में प्रचारक कष्ट उठा रहे हैं.
उनसे ही पैसे वसूल करके सम्मान करती है. सरकार को इस बात पर अधिक ध्यान देना चाहिए,.लूटनेवाले लूटते हैं. सच्ची सेवा करनेवाले .../?/यही नीति-धर्म है.
राष्ट्र भाषा के विरुद्ध बस /रेल जलाने वाले त्यागी बनकर तमिलनाडु सरकार से त्यागी की डिग्री और pension पा रहे हैं.
स्वार्थ केंद्र सरकार के शासक दल अपनी कुर्सी के हिफाजत केलिए कालाधन के नाम सूची या कार्रवाई नहीं लेती.और राष्ट्र भाषा पर ध्यान नहीं देती.देश को प्रधान न मानना ही कई भ्रष्टाचार का मूल है. शिक्षा आजादी के बाद भी स्थायी सिद्धांता लेकर नहीं चलती. आज कल बिन पैसे की अच्छी शिक्षा असंभव है.
जिंदगी भर गरीबी.सभा के परीक्षा सचिव को र.क. नरसिम्हन जी की सच्ची सेवा के लिए पहली बार उनको pension मिला ,रूपये ५०/; उनकी धर्म पत्नी अत्यंत ख़ुशी से ,आत्मा तृप्ति से मुझसे कहा;ऐसे ही सभा के कार्य कर्ता और प्रचारक महात्मा गांधी के रचनात्मक कार्य कर रहे हैं
.केद्र सरकार भी शहीद प्रचारक जो सच्ची सेवा कर रहे हैं,उनको प्रोत्साहन न देकर कोई भी ठोस काम न करनेवाले हिंदी अधिकारी और अन्य लोगों को करोड़ों रूपये खर्च कर रही है. लाखो लोगों को हिंदी सिखाने वाले बुरी हालत में है
.सरकारी दफ्तर में काम करनेवाले पढ़ें या न पढ़ें,वहां एक हिदी अधिकारी हैं.उनका एक महीने का वेतन सभा पचास प्रचाराकोंको देकर काम ले रही है.
बुढापे में प्रचारक कष्ट उठा रहे हैं.
उनसे ही पैसे वसूल करके सम्मान करती है. सरकार को इस बात पर अधिक ध्यान देना चाहिए,.लूटनेवाले लूटते हैं. सच्ची सेवा करनेवाले .../?/यही नीति-धर्म है.
राष्ट्र भाषा के विरुद्ध बस /रेल जलाने वाले त्यागी बनकर तमिलनाडु सरकार से त्यागी की डिग्री और pension पा रहे हैं.
स्वार्थ केंद्र सरकार के शासक दल अपनी कुर्सी के हिफाजत केलिए कालाधन के नाम सूची या कार्रवाई नहीं लेती.और राष्ट्र भाषा पर ध्यान नहीं देती.देश को प्रधान न मानना ही कई भ्रष्टाचार का मूल है. शिक्षा आजादी के बाद भी स्थायी सिद्धांता लेकर नहीं चलती. आज कल बिन पैसे की अच्छी शिक्षा असंभव है.
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