வெள்ளி, பிப்ரவரி 03, 2012

mandir

देवालय जाते है लोग ,देव कृपा  पाने===, 
अर्थ हीन प्रार्थना, अर्थ देकर करते है.
अर्थ की मांग ,नौकरी की  मांग.
आर्त दूर करने की मांग,
मान   की  मांग
मान ही मांग.
अपनी अपनी मांग,
स्वार्थ की प्रार्थना,
 मनो कामना पूरी करने.
मंदिर है.
फिर भी कहते है ,
मन चंगा तो कटौती में गंगा.
घाट घाट में भगवान् है.
धूल में ,खंभ में है.
हर मनुष्य   के हर काम में ,
सर्वेश्वर की नज़र है.
फिर भी लौकिक व्यवहार,
देख   मन में होते है शक.
फिर भी भक्तों की संख्याएं,
बढती  हैं हर दिन.
गणतंत्र    राज्य में
बहुत साधू संत  बढ़ते है
शंका निवारण के बदले .
शंकाएं होती है मन में ,
मंदिर बनवाना भी एक धंधा हो गया है.
या घट-घट  वासी  देखता रहता है.























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