मन चंगा तो कठौती में गंगा गंगा कहा गया है.आजकल तो गंगा भी मैली हो रही है.मनुष्य मन
कलुषित है.मन स्वस्थ नहीं है.स्वार्थ से भरा हुवा है.वह ज़रा भी नहीं सोचता कि अंत होनेवाले
कलुषित है.मन स्वस्थ नहीं है.स्वार्थ से भरा हुवा है.वह ज़रा भी नहीं सोचता कि अंत होनेवाले
शरीर में इतने कुविचार उत्पन्न कर रहे हैं.मनो वेग वायु वेग से बढ़ रहा है.आजकल के नेता देश की भलाई की
योज़ना को सही ढंग से कार्यान्वित करने घूस की प्रतीक्षा में एक तो देरी करते हैं,नहीं तो योज़ना की घोषणा या बुनियाद पत्थर के साथ छोड़ देते है.
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