शरागत रक्षक कृपा वर्षक  षणमुख  पर
 सुचारू  शब्दों में गीतांजलि गायेंगे।।
पत्थर-सा दिल भी पसीजने के वे  गीत ,
सुन्दर श्रेष्ठ  बनने ,पंचकर  गणेशजी 
के पद पर सर नवायेंगे।।
ग्रन्थ 
समर में कयमासुर के वीर वधिक!,विनायक सहोदर!
कामना और सेवा  हमारी  एक ही रहे,
जो नृत्य मयूर,अस्त्र शूल, व बांग के मुर्गा ,
 जो  सृजन हैं तेरे ,  उनकी  कीर्ति  करते रहें।।
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