मित्रता
मनुष्य सामाजिक प्राणी होने से उसकी जरूरतें पूरी करने के लिए दूसरे की सहायता अनिवार्य हो जाती है.वह सोचता है कि अकेले जीना असंभव है. वास्तविकता भी ऐसी ही है.सिवाय मनुष्य के बच्चे के अन्य जीव-जंतुओं के बच्चे जन्म लेते ही खड़े होते हैं.मनुष्य का बच्चा आठ महीने के बाद ही खड़ा होता है.उसको चलने केलिए चला-गाडी दी जाती है.
मनुष्य बड़ा बनता है.वह सन्यासी बनता है तो भी उसकेलिए कबीर के अनुसार ईश्वर की मूर्ती प्रिय है.सन्यासी अपने भक्तों की प्रतीक्षा भी करता है.खाने -पीने के लिए पेड़-पौधे ,उनसे उत्पन्न फल-मूल की जरूरत है.ऐसी हालत में साधारण नर कैसे अकेले रह सकता है.उसको नाते -रिश्तों की मदद चाहिए. तमिल कवी संत तिरुवल्लुवर मित्र के लक्षण यों कहते हैं--
कमर की धोती फिसलने पर हाथ फौरन उसे पकड़ लेता है,मान रक्षा केलिए.
वैसे ही संकट पढने पर तुरत हाथ बंटाना ही सच्ची मित्रता है.
मित्र आजकल पहले की तरह एक ही शहर या गांव में नहीं रहते.नौकरी की तलाश में दूर-दूर तक जाते हैं.अतः
नए-नए मित्र समूह होतेहैं.आश्चर्य की बात है कि ये मित्र अधिक प्रिय रहते है.अमेरिका में नए दोस्तकी मंडली देखी. घर बदलना था.सभी दोस्त आ जाते हैं.एक ट्रक चलाता है.एक सामान पैक करता है.दो दोस्त उठाकर ट्रक में रखतें है. दोस्तों में यह चक्र चलता है.रिश्ते यहाँ के तमाशा देखते हैं.महाभारत काल से रिश्ता ईर्ष्या और झगडालू हैं.
मनुष्य सामाजिक प्राणी होने से उसकी जरूरतें पूरी करने के लिए दूसरे की सहायता अनिवार्य हो जाती है.वह सोचता है कि अकेले जीना असंभव है. वास्तविकता भी ऐसी ही है.सिवाय मनुष्य के बच्चे के अन्य जीव-जंतुओं के बच्चे जन्म लेते ही खड़े होते हैं.मनुष्य का बच्चा आठ महीने के बाद ही खड़ा होता है.उसको चलने केलिए चला-गाडी दी जाती है.
मनुष्य बड़ा बनता है.वह सन्यासी बनता है तो भी उसकेलिए कबीर के अनुसार ईश्वर की मूर्ती प्रिय है.सन्यासी अपने भक्तों की प्रतीक्षा भी करता है.खाने -पीने के लिए पेड़-पौधे ,उनसे उत्पन्न फल-मूल की जरूरत है.ऐसी हालत में साधारण नर कैसे अकेले रह सकता है.उसको नाते -रिश्तों की मदद चाहिए. तमिल कवी संत तिरुवल्लुवर मित्र के लक्षण यों कहते हैं--
कमर की धोती फिसलने पर हाथ फौरन उसे पकड़ लेता है,मान रक्षा केलिए.
वैसे ही संकट पढने पर तुरत हाथ बंटाना ही सच्ची मित्रता है.
मित्र आजकल पहले की तरह एक ही शहर या गांव में नहीं रहते.नौकरी की तलाश में दूर-दूर तक जाते हैं.अतः
नए-नए मित्र समूह होतेहैं.आश्चर्य की बात है कि ये मित्र अधिक प्रिय रहते है.अमेरिका में नए दोस्तकी मंडली देखी. घर बदलना था.सभी दोस्त आ जाते हैं.एक ट्रक चलाता है.एक सामान पैक करता है.दो दोस्त उठाकर ट्रक में रखतें है. दोस्तों में यह चक्र चलता है.रिश्ते यहाँ के तमाशा देखते हैं.महाभारत काल से रिश्ता ईर्ष्या और झगडालू हैं.
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