आजकल शैक्षिक संस्थाओं में तनाव है.अनुशासन की कमी है. कारण शिक्षा क्षेत्र भातीय नैतिकता पर प्रमुखता न देकर धन को ही प्रधानता देती है. गुरु और शिष्य का सम्बन्ध रूपये का आधार बन गया है.
यह रीति प्राचीन गुरुकुल शिक्षा में कुल-जाति धर्म आदि के कारण अशिक्षित लोग ज्यादा थे.
राजतंत्र के बाद विदेशी शासन में अंग्रेजी प्रधान बनी.आजादी के बाद भी अंग्रेजी का महत्व बहु-गुणा बढ़ गया है.भारतीय संस्कृति और परम्परागत बंधन चित्रपट की प्रेमकथाओं और पौराणिक गन्दर्व विवाह के कारण
छात्र प्रेम के पीछे पागल होते जा रहे हैं. प्रेम न करने पर हत्या,आत्मा हत्या,अपहरण,शादी के बाद प्रेमी या प्रेमिका की याद में पति या पत्नी की ह्त्या करना आदि साधारण बात हो गयी.राजनीति भ्रष्टाचार की सीमा पार गयी.
राजा-महाराजा से बढ़कर लोकतंत्र के प्रतिनिधि सुखी जीवन बिता रहे हैं.चुनाव के समय ऐसा लगता है कि
दो बदमाश चुनाव के उम्मीदवार हैं.पैसे -रूपये सिपाही बनते है.
शिक्षा में अनुशासन भंग के मूल में अध्यापक.स्कूल के
प्रबंधक ,अधिकारी,समाज की नयी व्यवस्था के आर्थिक लोभ ही है.अर्थ के कारण शिक्षा सार्थक न होकर निरर्थक
बन रहा है.
यह रीति प्राचीन गुरुकुल शिक्षा में कुल-जाति धर्म आदि के कारण अशिक्षित लोग ज्यादा थे.
राजतंत्र के बाद विदेशी शासन में अंग्रेजी प्रधान बनी.आजादी के बाद भी अंग्रेजी का महत्व बहु-गुणा बढ़ गया है.भारतीय संस्कृति और परम्परागत बंधन चित्रपट की प्रेमकथाओं और पौराणिक गन्दर्व विवाह के कारण
छात्र प्रेम के पीछे पागल होते जा रहे हैं. प्रेम न करने पर हत्या,आत्मा हत्या,अपहरण,शादी के बाद प्रेमी या प्रेमिका की याद में पति या पत्नी की ह्त्या करना आदि साधारण बात हो गयी.राजनीति भ्रष्टाचार की सीमा पार गयी.
राजा-महाराजा से बढ़कर लोकतंत्र के प्रतिनिधि सुखी जीवन बिता रहे हैं.चुनाव के समय ऐसा लगता है कि
दो बदमाश चुनाव के उम्मीदवार हैं.पैसे -रूपये सिपाही बनते है.
शिक्षा में अनुशासन भंग के मूल में अध्यापक.स्कूल के
प्रबंधक ,अधिकारी,समाज की नयी व्यवस्था के आर्थिक लोभ ही है.अर्थ के कारण शिक्षा सार्थक न होकर निरर्थक
बन रहा है.
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