ஞாயிறு, பிப்ரவரி 26, 2012

aajkal kee anushaasan heenata

आजकल शैक्षिक  संस्थाओं  में  तनाव है.अनुशासन की कमी है. कारण शिक्षा क्षेत्र भातीय नैतिकता  पर प्रमुखता न देकर  धन  को ही प्रधानता देती है. गुरु और शिष्य का सम्बन्ध  रूपये का  आधार बन गया है.
यह रीति प्राचीन गुरुकुल शिक्षा में   कुल-जाति धर्म आदि के कारण अशिक्षित  लोग  ज्यादा थे.
राजतंत्र  के बाद  विदेशी   शासन में अंग्रेजी प्रधान बनी.आजादी के बाद भी  अंग्रेजी का महत्व  बहु-गुणा बढ़   गया है.भारतीय संस्कृति और परम्परागत   बंधन  चित्रपट की प्रेमकथाओं और पौराणिक गन्दर्व विवाह के कारण
छात्र प्रेम के पीछे पागल होते जा रहे हैं. प्रेम न करने पर हत्या,आत्मा हत्या,अपहरण,शादी के बाद प्रेमी या प्रेमिका की याद में पति या पत्नी की ह्त्या करना आदि  साधारण बात हो गयी.राजनीति भ्रष्टाचार की सीमा पार गयी.
राजा-महाराजा से बढ़कर  लोकतंत्र के प्रतिनिधि सुखी जीवन बिता रहे हैं.चुनाव के समय  ऐसा लगता है कि
दो बदमाश चुनाव के उम्मीदवार हैं.पैसे -रूपये सिपाही बनते है.
शिक्षा में  अनुशासन  भंग के मूल में अध्यापक.स्कूल के
प्रबंधक ,अधिकारी,समाज की नयी व्यवस्था  के आर्थिक लोभ ही है.अर्थ के कारण शिक्षा सार्थक न होकर निरर्थक
बन रहा है.

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